आओ गुरुवर मेरे
आओ गुरुवर मेरे , डालूँ माला गले , तुमको ध्याऊं
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं
1. बहुत दिन से थी इच्छा हमारी ,
गुरु आये हैं शरण तुम्हारी
आज सन्मुख खड़ा , द्वार तेरे पड़ा , मन लगाऊं
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं
2. है मंझधार नैया हमारी ,
होवे पार जो किरपा तुम्हारी
पार नैया करो , कष्ट मेरे हरो , सिर झुकाऊं
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं
3. क्या दक्षिणा दूं मैं तुम्हारी ,
कोई चीज़ नज़र ना हमारी
प्रेम प्रसाद है , भाव ही सार है , फल खिलाऊं
ऊंचे आसन पे तुमको बिठाऊं