Sunday, June 20, 2021

श्री साईं सच्चरित्र - गुरु की आवश्यकता

बाबा से भेंट करने के दूसरे दिन ‘हेमाडपंत’ और काकासाहेब ने मस्जिद में जाकर घर लौटने की अनुमति माँगी । बाबा ने स्वीकृति दे दी । 
किसी ने प्रश्न किया - “बाबा, कहाँ जाएँ ?”
उत्तर मिला - “ऊपर जाओ ।”
प्रश्न - “मार्ग कैसा है ?”
बाबा - अनेक पंथ हैं । यहाँ से भी एक मार्ग है । परन्तु यह मार्ग दुर्गम है तथा सिंह और भेड़िये भी मिलते हैं । 
काकासाहेब - यदि पथ प्रदर्शक भी साथ हो तो ?
बाबा - तब कोई कष्ट न होगा । पथ प्रदर्शक तुम्हारी सिंह, भेड़िये और खन्दकों से रक्षा कर तुम्हें सीधे निर्दिष्ट स्थान पर पहुँचा देगा । परन्तु उसके अभाव में जंगल में मार्ग भूलने या गड्ढे में गिर जाने की संभावना है । 

बाबा ने जो कहा, वह  “गुरु की आवश्यकता क्यों है” इस प्रश्न का भी उत्तर है । राम और कृष्ण महान् अवतारी होते हुए भी आत्मानुभूति के लिए राम को अपने गुरु वसिष्ठ और कृष्ण को अपने गुरु संदीपनि की शरण में जाना पड़ा था । इस मार्ग में उन्नति प्राप्त करने के लिए केवल श्रद्धा और धैर्य - ये ही दो गुण सहायक हैं । 

।। ॐ साईं राम ।।

Friday, May 7, 2021

Shiv Rudrashtak

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदाकाशमाकाश वासं भजेऽहम् ।।१।।

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं
गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं
गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ।।२।।

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं
मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा
लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा ।।३।।

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं
प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ।।४।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं
अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रय: शूल निर्मूलनं शूलपाणिं
भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।५।।

कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी
सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी 
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।६।।

न यावत् उमानाथ पादारविन्दं
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत् सुखं शान्ति सन्तापनाशं
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ।।७।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां 
नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दु:खौघ तातप्यमानं
प्रभो पाहि आपन्नमामिश शम्भो ।।८।। 

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भु: प्रसीदति ।।

ॐ नम: शिवाय 🙏🏻