Wednesday, May 16, 2012

Vishnu Puraan - 2

श्री लक्ष्मी स्तुति 

नमस्ये सर्वलोकानां जननी मब्ज संभवाम  
श्रियमुनीन्द्रपद्माक्षी विष्णु वक्षः स्थल  स्थिताम 

अर्थ  -  संपूर्ण  लोकों की जननी, विकसित  कमल  के सद्रश  नेत्रोंवाली, भगवान  विष्णु के वक्षः स्थल  में विराजमान  कमलोद्धवा श्री लक्ष्मी देवी को मैं नमस्कार करता हूँ। 

पद्मालयां  पद्मकरां  पद्मपत्रनिभेक्षणाम  
वन्दे पद्म मुखीं  देवीं पद्म नाभ  प्रिया महम  

अर्थ  -  कमल  ही जिनका निवास स्थान  है , कमल  ही जिनके कर - कमलों में सुशोभित  है , तथा कमल - दल  के समान  ही जिनके नेत्र हैं उन  कमल  मुखी कमल नाभ  प्रिया श्री कमला देवी की मैं वंदना करता हूँ 

त्वं  सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोक  पावनी 
संध्या रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती 

अर्थ - हे देवी ! तुम  सिद्धि हो, स्वधा हो , स्वाहा हो , सुधा हो और  त्रिलोकी को पवित्र करने वाली हो तथा तुम ही संध्या, रात्रि , प्रभा, विभूति, मेधा, श्रद्धा और सरस्वती हो। 

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