Monday, May 14, 2012

Vishnu Puran -1

क्रोध  तो मूर्खों को ही हुआ  करता है , विचारवानों को भला कैसे हो सकता है ? क्रोध  तो मनुष्य के अत्यंत  कष्ट से संचित  यश  और  तप  का भी प्रबल  नाशक  है . इस  लोक  और परलोक  दोनों को बिगाड़ने वाले इस  क्रोध  का महर्षि गण  सर्वदा त्याग  करते हैं.  साधुओं का धन  तो सदा क्षमा ही है। 

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