पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु किरपा कर अपनायो
1. जनम जनम की पूँजी पायी , जग में सभी खोवायो
2. खर्च न फूटे चोर न लूटे , गिन गिन बढ़त सवायो
3. सत की नाव खेवटिया सतगुरु , भवसागर तर आयो
4. मीरा के प्रभु गिरिधर नागर , हरख हरख जस गायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु किरपा कर अपनायो
1. जनम जनम की पूँजी पायी , जग में सभी खोवायो
2. खर्च न फूटे चोर न लूटे , गिन गिन बढ़त सवायो
3. सत की नाव खेवटिया सतगुरु , भवसागर तर आयो
4. मीरा के प्रभु गिरिधर नागर , हरख हरख जस गायो
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