Thursday, September 27, 2012

Ram Bhajan 2 - पायो जी मैंने

पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु किरपा कर अपनायो

1. जनम जनम की पूँजी पायी , जग में सभी खोवायो

2. खर्च न फूटे चोर न लूटे , गिन गिन बढ़त सवायो

3. सत की नाव खेवटिया सतगुरु , भवसागर तर आयो

4. मीरा के प्रभु गिरिधर नागर , हरख हरख जस गायो

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