Thursday, September 15, 2011

Aarti 6 - श्री कृष्ण जी की आरती

आरती कुँज बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

गले में वैजन्ती माला, माला
बजावे मुरली मधुर बाला, बाला
श्रवण में कुण्डल झलकाला, झलकाला
   नन्द के नन्द,  श्री आनन्द कन्द,  मोहन बॄज चन्द
   राधिका रमण बिहारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

गगन सम अंग कान्ति काली, काली
राधिका चमक रही आली, आली
लसन में ठाड़े वनमाली, वनमाली
   भ्रमर सों अलक, कस्तूरी तिलक, चन्द्र सी झलक
   ललित छवि श्यामा प्यारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

जहाँ से प्रगट भई गंगा, गंगा
कलुष कलि हारिणि श्री गंगा, गंगा
स्मरण से होत मोह भंगा, भंगा
   बसी शिव शीश, जटा के बीच, हरे अघ कीच
   चरण छवि श्री बनवारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, बिलसै
देवता दरसन को तरसै, तरसै
गगन सों सुमन राशि बरसै, बरसै
   बजे मुरचन    मधुर मृदंग    ग्वालिनी संग
   अतुल रति गोप कुमारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

चमकती उज्ज्वल तट रेणु, रेणु
बज रही बृन्दावन वेणु, वेणु
चहुँ दिसि गोपि काल धेनु, धेनु
   कसक मृद मंग,    चाँदनी चन्द,    कटत भव भन्ज
   टेर सुन दीन भिखारी की
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ..

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