Thursday, September 15, 2011

Aarti 5 - श्री शिव शंकर जी की आरती

ॐ जय शिव ॐकारा, स्वामी हर शिव ॐकारा .
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ..
जय शिव ॐकारा ..

एकानन चतुरानन पंचानन राजे
स्वामी पंचानन राजे .
हंसासन गरुड़ासन वृष वाहन साजे ..
जय शिव ॐकारा ..

दो भुज चारु चतुर्भुज दस भुज ते सोहे
स्वामी दस भुज ते सोहे .
तीनों रूप निरखता,  त्रिभुवन जन मोहे ..
जय शिव ॐकारा ..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी
स्वामी मुण्डमाला धारी .
चंदन मृग मद सोहे भाले शशि धारी ..
जय शिव ॐकारा ..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगे
स्वामी बाघाम्बर अंगे .
सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे ..
जय शिव ॐकारा ..

कर में श्रेष्ठ कमण्डलु चक्र त्रिशूल धरता
स्वामी चक्र त्रिशूल धरता .
जगकर्ता जगहर्ता जग पालन कर्ता ..
जय शिव ॐकारा ..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका
स्वामी जानत अविवेका .
प्रणवाक्षर में शोभित यह तीनों एका .
जय शिव ॐकारा ..

निर्गुण शिव की आरती जो कोई नर गावे
स्वामी जो कोई नर गावे .
कहत शिवानंद स्वामी मन वाँछित फल पावे .
जय शिव ॐकारा ..

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