Sunday, September 4, 2011

Aarti 3 - श्री हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

जाके बल से गिरिवर काँपे
रोग दोष जाके निकट न झाँके .
अंजनि पुत्र महा बलदायी
संतन के प्रभु सदा सहायी ..
आरती कीजै हनुमान लला की .

दे बीड़ा रघुनाथ पठाये
लंका जाय सिया सुधि लाये .
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई
जात पवनसुत बार न लाई ..
आरती कीजै हनुमान लला की .

लंका जारि असुर संघारे
सिया रामजी के काज संवारे .
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे
आन संजीवन प्राण उबारे ..
आरती कीजै हनुमान लला की .

पैठि पाताल तोड़ि यम कारे
अहिरावन की भुजा उखारे .
बाँये भुजा असुरदल मारे
दाहिने भुजा संत जन तारे ..
आरती कीजै हनुमान लला की .

सुर नर मुनि आरति उतारे
जय जय जय हनुमान उचारे .
कंचन थार कपूर लौ छाई
आरती करत अंजना माई ..
आरती कीजै हनुमान लला की .

जो हनुमान जी की आरती गावे
बसि वैकुण्ठ परम पद पावे . 
लंका विध्वंस किये रघुराई  
तुलसीदास जाकी कीर्ति गायी
आरती कीजै हनुमान लला की .
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

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